हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को अपने लिए जीवन में कठोरता अपनानी चाहिए,जिससे वे संकल्पबद्ध हो मनोयोगपूर्वक साधना पूरी कर सकें। ऐसी साधना फलवती होती है। प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक डॉ.पण्ड्या श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना के नवधा भक्ति में से चौथी भक्ति पर शांतिकुंज आये गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति छल,कपट को छोड़कर प्रभु द्वारा सुझाये गये कार्यों में मन लगाता है,वह अपने जीवन में प्रभु की भक्ति को पा लेता है। युवा उत्प्रेरक डॉ पण्ड्या ने कहा कि ईश्वर प्रणिधान से समाधि की सिद्धि हो जाती है। यानि ईश्वर की शरणागति से,साधना मे आने वाले परेशानियों का नाश होकर शीघ्र ही समाधि निष्पन्न हो जाती है,क्योंकि ईश्वर पर निर्भर रहने वाला साधक तो केवल तत्परता से साधना व भक्ति करता रहता है। उसे साधन भजन की चिंता नहीं रहती। उसकी जिम्मेदारी ईश्वर की हो जाती है। अतः साधना और भक्ति का शीघ्र पूर्ण होना स्वाभाविक है। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने सुमधुर प्रज्ञागीत प्रस्तुत कर उपस्थित साधको को भक्तिभाव में स्नान कराया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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