हरिद्वार। श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल से जुड़ी पंजाब की ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर की अस्थियां पूर्ण वैदिक विधि विधान से सतीघाट कनखल पर गंगा में विसर्जित की गयी। विसर्जन से पूर्व अस्थि कलश को श्री पंचयती अखाड़ा निर्मल में लाया गया और अखण्ड पाठ व अरदास कर ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी। अखाड़े के सभी संतों ने अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महराज ने कहा कि ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर दिव्या आत्मा थी। सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए भक्तों में आध्यात्मिक चेतना जगाने में उनका अहम योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। संत प्रीतम कौर भौतिक रूप से संसार में उपस्थित नहीं है। लेकिन विचार और शिक्षाएं सदैव समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। संत प्रीतम कौर की शिष्या गगनदीप कौर ने कहा कि गुरू से मिले ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए धर्म और मानव सेवा में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि पूज्यनीय गुरू ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। श्रद्धांजलि देने वालों में महंत खेम सिंह,महंत निर्भय सिंह,संत बलवीर सिंह,संत जसकरण सिंह सहित अखाड़े के सभी संत व पंजाब से आए श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।
हरिद्वार। श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल से जुड़ी पंजाब की ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर की अस्थियां पूर्ण वैदिक विधि विधान से सतीघाट कनखल पर गंगा में विसर्जित की गयी। विसर्जन से पूर्व अस्थि कलश को श्री पंचयती अखाड़ा निर्मल में लाया गया और अखण्ड पाठ व अरदास कर ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी। अखाड़े के सभी संतों ने अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महराज ने कहा कि ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर दिव्या आत्मा थी। सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए भक्तों में आध्यात्मिक चेतना जगाने में उनका अहम योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। संत प्रीतम कौर भौतिक रूप से संसार में उपस्थित नहीं है। लेकिन विचार और शिक्षाएं सदैव समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। संत प्रीतम कौर की शिष्या गगनदीप कौर ने कहा कि गुरू से मिले ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए धर्म और मानव सेवा में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि पूज्यनीय गुरू ब्रह्मलीन संत प्रीतम कौर के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। श्रद्धांजलि देने वालों में महंत खेम सिंह,महंत निर्भय सिंह,संत बलवीर सिंह,संत जसकरण सिंह सहित अखाड़े के सभी संत व पंजाब से आए श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।
Comments
Post a Comment