हरिद्वार। सुंदरकांड की कथा इतनी सुंदर है कि जो व्यक्ति इस कथा का श्रवण कर लेता है उसका शेष जीवन सुंदरता से ओतप्रोत हो जाता है। उक्त विचार श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमत गौशाला के सत्संग हाल में हनुमान जयंती के उपलक्ष में आयोजित पाटोत्सव में भक्तों के जीवन में सुख एवं समृद्धि का समावेश करने के संसाधनों पर चर्चा करते हुए व्यक्त किये। सुंदरकांड को श्रीरामचरितमानस का सर्वाेत्तम अध्याय बताते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि मित्र यदि अच्छा मिल जाए तो जीवन की समस्त दुष्वारियां दूर हो जाती हैं, और हनुमान जी ने जब सुग्रीव की भगवान राम से मित्रता करायी तो दोनों के जीवन की खुशियां लौट आयीं, यह हनुमान जी की निष्काम सेवा थी जो वेदांत का सिद्धांत है। भगवान साकार भी हैं और निराकार भी, वे सगुण भी हैं और निर्गुण भी, क्योंकि भगवान का नाम ही अमृत है। जिसे पीते ही व्यक्ति अमर हो जाता है। व्यक्ति यदि यह समझ ले कि भगवान मेरे हैं और मैं भगवान का हूं, क्योंकि आत्मा परमात्मा का अंश है जो अजर अमर है। व्यक्ति जब स्वयं को भगवान से जोड़ लेता है तो सकल संसार उसका परिवार हो जाता है। जिससे व्यक्ति का जीवन खुशहाल बन जाता है। हनुमान भक्तों को आशीर्वाद देते हुए जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि शतायु संत के श्रीमुख से निस्रृत एक-एक शब्द जीवन के लिए उपयोगी मंत्र होता है और आप लोग धन्य हैं। जिनको ऐसे दुर्लभ,ब्रह्मवेत्ता और ज्ञानी संत का सानिध्य प्राप्त हुआ। जिसके अंतःकरण से भक्ति और ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने सभी भक्तों को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बल और बुद्धि के प्रदाता हनुमान जी की शरण में जो भक्त आ जाता है उसका शेष जीवन संकट मुक्त हो जाता है।
हरिद्वार। सुंदरकांड की कथा इतनी सुंदर है कि जो व्यक्ति इस कथा का श्रवण कर लेता है उसका शेष जीवन सुंदरता से ओतप्रोत हो जाता है। उक्त विचार श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमत गौशाला के सत्संग हाल में हनुमान जयंती के उपलक्ष में आयोजित पाटोत्सव में भक्तों के जीवन में सुख एवं समृद्धि का समावेश करने के संसाधनों पर चर्चा करते हुए व्यक्त किये। सुंदरकांड को श्रीरामचरितमानस का सर्वाेत्तम अध्याय बताते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि मित्र यदि अच्छा मिल जाए तो जीवन की समस्त दुष्वारियां दूर हो जाती हैं, और हनुमान जी ने जब सुग्रीव की भगवान राम से मित्रता करायी तो दोनों के जीवन की खुशियां लौट आयीं, यह हनुमान जी की निष्काम सेवा थी जो वेदांत का सिद्धांत है। भगवान साकार भी हैं और निराकार भी, वे सगुण भी हैं और निर्गुण भी, क्योंकि भगवान का नाम ही अमृत है। जिसे पीते ही व्यक्ति अमर हो जाता है। व्यक्ति यदि यह समझ ले कि भगवान मेरे हैं और मैं भगवान का हूं, क्योंकि आत्मा परमात्मा का अंश है जो अजर अमर है। व्यक्ति जब स्वयं को भगवान से जोड़ लेता है तो सकल संसार उसका परिवार हो जाता है। जिससे व्यक्ति का जीवन खुशहाल बन जाता है। हनुमान भक्तों को आशीर्वाद देते हुए जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि शतायु संत के श्रीमुख से निस्रृत एक-एक शब्द जीवन के लिए उपयोगी मंत्र होता है और आप लोग धन्य हैं। जिनको ऐसे दुर्लभ,ब्रह्मवेत्ता और ज्ञानी संत का सानिध्य प्राप्त हुआ। जिसके अंतःकरण से भक्ति और ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने सभी भक्तों को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बल और बुद्धि के प्रदाता हनुमान जी की शरण में जो भक्त आ जाता है उसका शेष जीवन संकट मुक्त हो जाता है।
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