हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य में पहली बार आंखों के रेटीना के पर्दे हटने की टाइटेनियम मैकुला बकल से सफल सर्जरी की गई है। बहादराबाद स्थित हंस फाउंडेशन में सफल सर्जरी के लिए विदेश से टाइटेनियम मैकुला बकल मंगाया गया था। आखों का पर्दा हटने के बाद पर्दे को टाइटेनियम मैकुला बकल द्वारा दोबारा अपने स्थान पर स्थापित किया गया है। विशेषज्ञ नेत्र सर्जन डा.चिंतन देसाई ने प्रेमनगर आश्रम के समीप स्थित होटल में जानकारी देते हुए बताया कि उनके साथी डा.मोहित गर्ग और उन्होंने मिल कर आंखों के पर्दे की सफल सर्जरी की है। वर्तमान में मरीज हंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती है। देहरादून स्थित राही नेत्र धाम ने 64 वर्षीय मरीज को निःशुल्क टाइटेनियम मैकुला बकल उपलब्ध कराया है। डा.चिंतन देसाई ने बताया कि मरीज के रेटीना का पर्दा अपनी जगह से हट गया था। आंख बड़ी होने और आंख का पर्दा हटने के कारण दूर की नजर में दिक्कत थी। बुधवार को मरीज की सफल सर्जरी की गई है। मरीज की आंख के पीछे टाइटेनियम मैकुला बकल लगाया है। मरीज को आयुष्मान योजना का लाभ देते हुए सर्जरी निःशुल्क की गई है। बताया कि भारत में सिलिकॉन का बकल मिलता है। टाइटेनियम मैकूला बकल की सर्जरी में एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्चा होता है। उत्तराखंड में यह पहली सर्जरी है। ढाई घंटे में सफल सर्जरी की गई है। नई तकनीक से सर्जरी की गई है। डा.चिंतन देसाई ने बताया कि बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखना चाहिए। मोबाइल आंखों को प्रभावित कर रहा है। बच्चे लगातार मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे नेत्र रोग लगातार बढ़ रहे हैं। खेलों के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने की आवश्यकता है।
हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य में पहली बार आंखों के रेटीना के पर्दे हटने की टाइटेनियम मैकुला बकल से सफल सर्जरी की गई है। बहादराबाद स्थित हंस फाउंडेशन में सफल सर्जरी के लिए विदेश से टाइटेनियम मैकुला बकल मंगाया गया था। आखों का पर्दा हटने के बाद पर्दे को टाइटेनियम मैकुला बकल द्वारा दोबारा अपने स्थान पर स्थापित किया गया है। विशेषज्ञ नेत्र सर्जन डा.चिंतन देसाई ने प्रेमनगर आश्रम के समीप स्थित होटल में जानकारी देते हुए बताया कि उनके साथी डा.मोहित गर्ग और उन्होंने मिल कर आंखों के पर्दे की सफल सर्जरी की है। वर्तमान में मरीज हंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती है। देहरादून स्थित राही नेत्र धाम ने 64 वर्षीय मरीज को निःशुल्क टाइटेनियम मैकुला बकल उपलब्ध कराया है। डा.चिंतन देसाई ने बताया कि मरीज के रेटीना का पर्दा अपनी जगह से हट गया था। आंख बड़ी होने और आंख का पर्दा हटने के कारण दूर की नजर में दिक्कत थी। बुधवार को मरीज की सफल सर्जरी की गई है। मरीज की आंख के पीछे टाइटेनियम मैकुला बकल लगाया है। मरीज को आयुष्मान योजना का लाभ देते हुए सर्जरी निःशुल्क की गई है। बताया कि भारत में सिलिकॉन का बकल मिलता है। टाइटेनियम मैकूला बकल की सर्जरी में एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्चा होता है। उत्तराखंड में यह पहली सर्जरी है। ढाई घंटे में सफल सर्जरी की गई है। नई तकनीक से सर्जरी की गई है। डा.चिंतन देसाई ने बताया कि बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखना चाहिए। मोबाइल आंखों को प्रभावित कर रहा है। बच्चे लगातार मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे नेत्र रोग लगातार बढ़ रहे हैं। खेलों के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने की आवश्यकता है।
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