हरिद्वार। भेल सेक्टर-2 स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में विद्या भारती की ओर से दो दिवसीय जिला स्तरीय आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री रजनीकान्त शुक्ल, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज मायापुर के उपप्रधानाचार्य अजय सिंह तथा सरस्वती विद्या मंदिर भेल सेक्टर-2 के प्रधानाचार्य लोकेन्द्र दत्त अंथवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रशिक्षण वर्ग में जिले से 40आचार्य एवं आचार्याओं ने प्रतिभाग किया। रजनीकांत शुक्ल ने कहा कि दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग मुख्यतः शारीरिक शिक्षकों के प्रशिक्षण का शिविर है। शारिरिक शिक्षक का विद्यालय में अलग ही दायित्व होता है,उस पर बच्चे के शारीरिक विकास का भार होता है। शारीरिक शिक्षा का कार्य क्षेत्र व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास करना है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को उन परिस्थितियों में कुशल नेतृत्व प्रदान करता है। जिसके द्वारा एक व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सजग तथा सामाजिक जीवन में परिस्थितियों के अनुरूप कार्य कर सके। उन्होंने बताया कि संघ की ही प्रेरणा से सरस्वती शिशु मंदिर का पहला विद्यालय 1952 में बना। 1977 में विद्या भारती की स्थापना की गई। तब से लेकर आज तक 25000 औपचारिक तथा अनौपचारिक संस्थान से अधिक विद्यालय से भारत में विद्यमान हैं। 2007 में विद्या भारती के छात्रों ने खेलों में 19 मेडल जीते थे। इसके बाद अब लगभग हर वर्ष सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं 386 से अधिक मैडल जीत रहे है। कार्यशाला में सिखाया जाएगा कि कैसे एक बच्चे का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। इस अवसर पर करूनेश सैनी,कमल सिंह रावत, अश्वनी, अमित,प्रवीण कुमार आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। भेल सेक्टर-2 स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में विद्या भारती की ओर से दो दिवसीय जिला स्तरीय आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री रजनीकान्त शुक्ल, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज मायापुर के उपप्रधानाचार्य अजय सिंह तथा सरस्वती विद्या मंदिर भेल सेक्टर-2 के प्रधानाचार्य लोकेन्द्र दत्त अंथवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रशिक्षण वर्ग में जिले से 40आचार्य एवं आचार्याओं ने प्रतिभाग किया। रजनीकांत शुक्ल ने कहा कि दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग मुख्यतः शारीरिक शिक्षकों के प्रशिक्षण का शिविर है। शारिरिक शिक्षक का विद्यालय में अलग ही दायित्व होता है,उस पर बच्चे के शारीरिक विकास का भार होता है। शारीरिक शिक्षा का कार्य क्षेत्र व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास करना है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को उन परिस्थितियों में कुशल नेतृत्व प्रदान करता है। जिसके द्वारा एक व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सजग तथा सामाजिक जीवन में परिस्थितियों के अनुरूप कार्य कर सके। उन्होंने बताया कि संघ की ही प्रेरणा से सरस्वती शिशु मंदिर का पहला विद्यालय 1952 में बना। 1977 में विद्या भारती की स्थापना की गई। तब से लेकर आज तक 25000 औपचारिक तथा अनौपचारिक संस्थान से अधिक विद्यालय से भारत में विद्यमान हैं। 2007 में विद्या भारती के छात्रों ने खेलों में 19 मेडल जीते थे। इसके बाद अब लगभग हर वर्ष सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं 386 से अधिक मैडल जीत रहे है। कार्यशाला में सिखाया जाएगा कि कैसे एक बच्चे का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। इस अवसर पर करूनेश सैनी,कमल सिंह रावत, अश्वनी, अमित,प्रवीण कुमार आदि उपस्थित रहे।
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