हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वावधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि यज्ञ करने से समस्त देवी देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यज्ञ अवश्य करना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो सभी देवी देवता उनके पास आ कर कहने लगे कि हमारी भूख शांत नहीं हो रही है। पेट भर के हमें कुछ मिलता ही नहीं है,इसलिए आप कुछ उपाय कीजिए। देवताओं के निवेदन पर ब्रह्मा ने स्वाहा नाम की एक कन्या को उत्पन्न किया और उसका विवाह यज्ञ नारायण के साथ कर दिया। ब्रह्मा ने कहा आज से जिस देवी देवता का नाम लेकर यज्ञ करते हुए स्वाहा उच्चारण कर आहुति दी जाएगी। वह आहुति उसी देवता को प्राप्त हो जाएगी। जिससे समस्त देवी देवताओं के आहार की व्यवस्था बनेगी। तभी से प्रत्येक घर में यज्ञ की परंपरा शुरू हुई। शास्त्री ने बताया कि यज्ञ करने से देवताओं की प्रसन्नता और तृप्ति होती है। देवी देवताओं की कृपा से घर में सुख,समृद्धि,धन धान्य,आयु आरोग्य की वृद्धि होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को नित्य अपने घर में यज्ञ करना चाहिए। यदि नित्य न कर सकें तो पूर्णमासी एवं सक्रांति या अमावस पर यज्ञ अवश्य करें। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान,राकेश नागपाल,मुकेश चावला,अमित गेरा,संजय सचदेवा,दीपक बजाज,नीरू,रीना ,भावना,लक्की,कविता,मंजू,कमल,कनिका,सुषमा,कविता,रेणुआशा,जिज्ञांशा,ऋषभ,आयुषा,ललितागेरा, बाला शर्मा,दर्शना छाबरा,आचार्य महेशचंद्र जोशी,पंडित रामचंद्र तिवारी,पंडित गणेश कोठारी, नरेश मनचंदा,राजू मनचंदा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वावधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि यज्ञ करने से समस्त देवी देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यज्ञ अवश्य करना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो सभी देवी देवता उनके पास आ कर कहने लगे कि हमारी भूख शांत नहीं हो रही है। पेट भर के हमें कुछ मिलता ही नहीं है,इसलिए आप कुछ उपाय कीजिए। देवताओं के निवेदन पर ब्रह्मा ने स्वाहा नाम की एक कन्या को उत्पन्न किया और उसका विवाह यज्ञ नारायण के साथ कर दिया। ब्रह्मा ने कहा आज से जिस देवी देवता का नाम लेकर यज्ञ करते हुए स्वाहा उच्चारण कर आहुति दी जाएगी। वह आहुति उसी देवता को प्राप्त हो जाएगी। जिससे समस्त देवी देवताओं के आहार की व्यवस्था बनेगी। तभी से प्रत्येक घर में यज्ञ की परंपरा शुरू हुई। शास्त्री ने बताया कि यज्ञ करने से देवताओं की प्रसन्नता और तृप्ति होती है। देवी देवताओं की कृपा से घर में सुख,समृद्धि,धन धान्य,आयु आरोग्य की वृद्धि होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को नित्य अपने घर में यज्ञ करना चाहिए। यदि नित्य न कर सकें तो पूर्णमासी एवं सक्रांति या अमावस पर यज्ञ अवश्य करें। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान,राकेश नागपाल,मुकेश चावला,अमित गेरा,संजय सचदेवा,दीपक बजाज,नीरू,रीना ,भावना,लक्की,कविता,मंजू,कमल,कनिका,सुषमा,कविता,रेणुआशा,जिज्ञांशा,ऋषभ,आयुषा,ललितागेरा, बाला शर्मा,दर्शना छाबरा,आचार्य महेशचंद्र जोशी,पंडित रामचंद्र तिवारी,पंडित गणेश कोठारी, नरेश मनचंदा,राजू मनचंदा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।
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