हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वावधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तीर्थ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि अनजाने में किए गए पाप कर्म तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाते हैं एवं पुण्य उदित हो जाते हैं। उन पुण्यों के प्रभाव से घर में सुख समृद्धि धन-धान्य, आयु आरोग्य की वृद्धि होती है। परंतु यदि कोई मनुष्य तीर्थ में जाकर के या जो लोग तीर्थ में रह रहे हैं,वहां रहते हुए पाप कर्म करते हैं। उनके पाप कभी न मिटने वाले वज्र के सम्मान हो जाते हैं। उन्हें अनेकों वर्षों तक नरक यातना भोगनी पड़ती है। इसके प्रभाव से घर में दुख, दरिद्र,कष्ट,संकट बढ़ते हैं। शास्त्री ने बताया कि तीर्थ की मर्यादा का पालन करते हुए सर्वप्रथम यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ के उपरांत कन्याओं का पूजन एवं ब्राह्मणों का पूजन कर उन्हें भोजन कराकर दान एवं दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद तीर्थ यात्रा का फल मनुष्य को प्राप्त होता है। कथाव्यास ने श्रद्धालुओं को तीर्थ की मर्यादा का पालन करने का संकल्प भी दिलाया। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान,राकेश नागपाल,मुकेश चावला,अमित गेरा,संजय सचदेवा,दीपकबजाज,नीरू,रीना,भावना,लक्की,कविता,मंजू,कमल,कनिका,सुषमा, कविता ,रेणु आशा,जिज्ञांशा,ऋषभ,आयुषा,ललिता गेरा,बाला शर्मा,दर्शना छाबरा,आचार्य महेशचंद्र जोशी, पंडित रामचंद्र तिवारी,पंडित गणेश कोठारी,नरेश मनचंदा,राजू मनचंदा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वावधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तीर्थ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि अनजाने में किए गए पाप कर्म तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाते हैं एवं पुण्य उदित हो जाते हैं। उन पुण्यों के प्रभाव से घर में सुख समृद्धि धन-धान्य, आयु आरोग्य की वृद्धि होती है। परंतु यदि कोई मनुष्य तीर्थ में जाकर के या जो लोग तीर्थ में रह रहे हैं,वहां रहते हुए पाप कर्म करते हैं। उनके पाप कभी न मिटने वाले वज्र के सम्मान हो जाते हैं। उन्हें अनेकों वर्षों तक नरक यातना भोगनी पड़ती है। इसके प्रभाव से घर में दुख, दरिद्र,कष्ट,संकट बढ़ते हैं। शास्त्री ने बताया कि तीर्थ की मर्यादा का पालन करते हुए सर्वप्रथम यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ के उपरांत कन्याओं का पूजन एवं ब्राह्मणों का पूजन कर उन्हें भोजन कराकर दान एवं दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद तीर्थ यात्रा का फल मनुष्य को प्राप्त होता है। कथाव्यास ने श्रद्धालुओं को तीर्थ की मर्यादा का पालन करने का संकल्प भी दिलाया। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान,राकेश नागपाल,मुकेश चावला,अमित गेरा,संजय सचदेवा,दीपकबजाज,नीरू,रीना,भावना,लक्की,कविता,मंजू,कमल,कनिका,सुषमा, कविता ,रेणु आशा,जिज्ञांशा,ऋषभ,आयुषा,ललिता गेरा,बाला शर्मा,दर्शना छाबरा,आचार्य महेशचंद्र जोशी, पंडित रामचंद्र तिवारी,पंडित गणेश कोठारी,नरेश मनचंदा,राजू मनचंदा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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