हरिद्वार। उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र की जयंती के आयोजन को लेकर श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में संतों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक मेें सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष शामिल हुए। कनखल स्थित अखाड़े में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र की 530वीं जयंती सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम के साथ मनायी जाएगी। जयंती के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा व संत सम्मेलन सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रमों में अनेक गणमान्य लोग व देश भर से श्रद्धालु शामिल होंगे। कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने पूरे देश का भ्रमण कर तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर समाज को एकजुट किया और धर्म और अध्यात्म के मार्ग अग्रसर किया। उन्होेने बताया कि भगवान श्रीचंद्र जयंती के अवसर पर 10 सितम्बर को श्री चंद्राचार्य चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। 12सितम्बर को संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें योगगुरू बाबा रामदेव,आचार्य बालकृष्ण,शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल,सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत,अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी मुख्य अतिथी होंगे। बाबा हठयोगी ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने अज्ञानता को दूर समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाया और समरसता का वातावरण बनाया। भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग चलते हुए संत समाज मानव कल्याण में योगदान कर रहा है। कारोबारी महंत गोविंददास महाराज,महंत जयेंद्र मुनि,महंत प्रेमदास,महंत कैवल्यानंद व महंत मुरलीदास ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और कहा कि भगवान श्रीचंद्र श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के आराध्य और समस्त संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं। सभी को उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव सेवा में योगदान करना चाहिए। बैठक में मुख्यिा महंत भगतराम,महंत रूपेंद्र प्रकाश,महंत गंगादास उदासीन, महंत सूरजदास,महंत तीरथदास,महंत जयेंद्र मुनि,महामंडलेश्वर भगवत स्वरूप,महंत बिहारी शरण,महंत गुरमीत सिंह,महंत रघुवीर दास,महंत सेवादास,महंत दामोदर शरण दास,महंत जमना दास,स्वामी कैलाश मुनि,स्वामी चिदविलासानंद,महंत मोहन सिंह,महंत सुतिक्ष्ण मुनि,महंत विनोद महाराज,स्वामी कपिल मुनि शामिल रहे। बैठक का संचालन महंत जयेंद्र मुनि ने किया।
हरिद्वार। उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र की जयंती के आयोजन को लेकर श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में संतों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक मेें सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष शामिल हुए। कनखल स्थित अखाड़े में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र की 530वीं जयंती सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम के साथ मनायी जाएगी। जयंती के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा व संत सम्मेलन सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रमों में अनेक गणमान्य लोग व देश भर से श्रद्धालु शामिल होंगे। कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने पूरे देश का भ्रमण कर तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर समाज को एकजुट किया और धर्म और अध्यात्म के मार्ग अग्रसर किया। उन्होेने बताया कि भगवान श्रीचंद्र जयंती के अवसर पर 10 सितम्बर को श्री चंद्राचार्य चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। 12सितम्बर को संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें योगगुरू बाबा रामदेव,आचार्य बालकृष्ण,शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल,सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत,अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी मुख्य अतिथी होंगे। बाबा हठयोगी ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने अज्ञानता को दूर समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाया और समरसता का वातावरण बनाया। भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग चलते हुए संत समाज मानव कल्याण में योगदान कर रहा है। कारोबारी महंत गोविंददास महाराज,महंत जयेंद्र मुनि,महंत प्रेमदास,महंत कैवल्यानंद व महंत मुरलीदास ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और कहा कि भगवान श्रीचंद्र श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के आराध्य और समस्त संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं। सभी को उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव सेवा में योगदान करना चाहिए। बैठक में मुख्यिा महंत भगतराम,महंत रूपेंद्र प्रकाश,महंत गंगादास उदासीन, महंत सूरजदास,महंत तीरथदास,महंत जयेंद्र मुनि,महामंडलेश्वर भगवत स्वरूप,महंत बिहारी शरण,महंत गुरमीत सिंह,महंत रघुवीर दास,महंत सेवादास,महंत दामोदर शरण दास,महंत जमना दास,स्वामी कैलाश मुनि,स्वामी चिदविलासानंद,महंत मोहन सिंह,महंत सुतिक्ष्ण मुनि,महंत विनोद महाराज,स्वामी कपिल मुनि शामिल रहे। बैठक का संचालन महंत जयेंद्र मुनि ने किया।
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