हरिद्वार। किसी भी राष्ट्र के अस्तित्व में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश सत्ता द्वारा भारतीयों की संस्कृति,समाजिक,राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था का उपहास उड़ाया गया। इन परिस्थतियों में भारतीय विद्वानों व मनीषियों जैसे भारतेन्दु हरीश चन्द्र,प्रतापनारायण मिश्र,मदन मोहन मालवीय,महात्मा गांधी आदि ने हिन्दी भाषा को भारतीयों में राष्ट्रवाद के उद्भव के लिए राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाने पर जोर दिया। इकबाल ने ‘हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा‘ जैसी रचनाओं से हिन्दी को राष्ट्र के पर्याय के रूप में प्रेषित किया। वास्तव में भारत में विभिन्न भाषाओं जैसे मराठी,गुजराती,राजस्थानी,हरयाणवी,भोजपुरी, बुन्देलखण्डी,बंगाली आदि के उद्भव में भी हिन्दी का योगदान है। वर्तमान में विश्व में हिन्दी चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। आज भारत विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। इस संबंध में हिन्दी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण हो चली है। इस संदर्भ में भारत सरकार के प्रयासों से वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हिन्दी को अपनी आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया है। ’नमस्ते इंडिया’’नमस्ते लंदन’,’नमस्ते ट्रम्प’जैसे प्रोग्राम आज विश्व में हिन्दी भाषा के बढ़ते महत्व व अस्तित्व को बताते है। हालांकि अभी हिन्दी भाषा को विज्ञान व प्रौद्योगिकी,मेडिकल क्षेत्र की भाषा के रूप में विकसित करने हेतु सीमित कार्य ही हुआ है। इस संदर्भ में हिन्दी दिवस पर यह संकल्प लेना होगा कि हिन्दी भाषा की स्वीकार्यता बढ़ाने हेतु व्यक्तिगत व सार्वजनिक जीवन तथा समस्त ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हिंदी भाषा को प्रोत्साहित देने हेतु गंभीर प्रयास करेंगे। तभी भारत के विश्व गुरु बनने का सपना से पूर्ण हो सकेगा। प्रशांत शुक्ला ने कहा मैंने उत्तराखंड पीसीएस में हिंदी से ही सफलता पाई है। इसलिए हिंदी को बढ़ावा देना अति आवश्यक है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
Comments
Post a Comment