हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर कहा कि गणेश चतुर्थी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये उत्सव पुरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन खासतौर से महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव को माता पार्वती और भगवान शिव के प्यारे पुत्र गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। ये उत्सव गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना के बाद से शुरू होता है और लगातार दस दिनों तक चलता है। इस पूजा के दौरान भक्त गणेश जी को उनकी प्रिय मिठाई मोदक और लड्डू से भोग लगाते है और पूरी विधि-विधान से पूजा पाठ करते है। 11वें दिन गणेश जी के मूर्ति को पानी में विसर्जित कर देते है। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश को सौभाग्य,समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। ऐसे में गणेश पूजन से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। गणेश भगवान हमारे जीवन में बुद्धि,समृद्धि और सुख लाने के लिए जाने जाते हैं। विघ्नहर्ता, जो हमारे जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी पूजा करने से हमें ज्ञान,सुख और समृद्धि मिलती है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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