हरिद्वार। श्री राधारासिक बिहारी मंदिर रामनगर कालोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मनुष्य अपने कर्मों के फलस्वरूप ही स्वर्ग एवं नरक, सुख एवं दुख भोगता है। कर्म आगे चलकर भाग्य बनता है। शास्त्री ने बताया कि भीष्म पितामह जब बाणों की शैया पर पड़े हुए थे। तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा मुझे अपने सौ जन्मों का स्मरण है,मैंने कोई भी पाप कर्म नहीं किया। फिर मुझे यह बाणों की शैया क्यों मिली। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि पितामाह आपको सौ जन्मों का स्मरण है। परंतु उससे पूर्व जन्म का आपको स्मरण नहीं है। उससे पूर्व आपने एक टिड्डा नामक कीड़े को कांटा लगा कर झाड़ियों में फेंक दिया था। उसी के परिणामस्वरूप आज आपको बाणों की शैया प्राप्त हो रही है। यह आपका संचित कर्म है। जो प्रारब्ध के रूप में आपको भोगना पड़ रहा है। इसलिए मनुष्य को सदा पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। इस दौरान मुख्य यजमान कमल प्रजापति,कृष्ण कुमार आर्य,रेखा आर्य,अनुज आर्य,जोशना आर्य,करण शर्मा,शिमला उपाध्याय,रश्मि गोस्वामी,किशोर गुप्ता,सोनिया गुप्ता,रिशु गोयल,डा.अनिल भट्ट,वीना धवन,शांति दर्गन,रिंकू शर्मा,महेंद्र शर्मा,रुद्राक्ष भट्ट,रिंकी भट्ट,विमला देवी भट्ट,पंडित गणेश कोठारी ,रीना जोशी,मोनिका बिश्नोई,पूर्व पार्षद रेणु अरोड़ा,दीप्ति भारद्वाज,रीना जोशी,हर्ष ब्रह्म,अन्नू शर्मा ,सुषमा त्यागी,मधु इलाहाबादी,सारिका जोशी,भावना खुराना,सुमन चौहान आदि भागवत पूजन किया।
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