हरिद्वार। दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस साल 2024 में दीपावली 31 अक्टूबर को मनाना तर्कसंगत है। ज्योतिषाचार्य पंडित रितेश कुमार तिवारी ने बताया कि दीपावली की पूजा कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल के बाद करना शास्त्र सम्मत माना जाता है। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31अक्टूबर को दोपहर के बाद 3 बजकर 52मिनट से 1 नवंबर को शाम 6बजकर 16मिनट तक रहेगी। यानी कि 31अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी। इसलिए 31अक्टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि 31अक्टूबर की रात्रि में ही लक्ष्मी पूजन, काली पूजन व निशीथ काल की पूजा भी की जाएगी। मध्य रात्रि की पूजा भी 31अक्टूबर की रात को ही करना सर्वमान्य होगा। ज्योतिषाचार्य रितेश तिवारी ने बताया कि इस दिन प्रीति योग का भी संयोग बन रहा है, जो दिवाली की शुभता में वृद्धि करने वाला है। उन्होंने बताया कि अमावस्या से जुड़े दान-पुण्य के कार्य और पितृ कर्म आदि 1नवंबर को सुबह करना उचित रहेगा तथा 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन शाम 5 बजकर 36मिनट से शाम 6बजकर 16 मिनट तक किया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य रितेश तिवारी ने कहा कि दीपावली पंचतत्व की प्रसन्नता के लिए पांच दिनों तक मनाएं जाने वाला प्रकाश पर्व है जो कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तक सतत पांच दिनों तक मनाया जाता है। जिसका शुभारंभ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात् धनतेरस से होता है। उन्होंने बताया कि इस साल धनतेरस 29अक्टूबर को,छोटी दिवाली 30को और दीपावली 31 को मनाया जाएगा। वहीं,गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को और भाई दूज 3को मनाया जाएगा। साथ ही बताया कि दीपोत्सव भारतीय सांस्कृतिक परम्परा का बहुत प्राचीन एवं प्रमुख पर्व है। जिससे भगवान श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या आगमन से लेकर भगवान बुद्ध,महावीर और गुरुनानक तक की स्मृतियां जुड़ी हैं। दीपावली पर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं,अनेक कथाएं और आख्यान समाहित हैं।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment