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नवरात्रि पवित्रता,शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है-रेखा नेगी

 हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने 03अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर बोलते हुए कहा कि नवरात्रि हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले त्यौहार में से एक प्रमुख त्यौहार है जो असत्य पर सत्य की जीत,बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। नवरात्रि साल में चार बार आती है-चैत्र,आषाढ़,अश्विन और माघ के महीनों में। लेकिन मुख्य रूप से चैत्र और आश्विन महीने की नवरात्रि लोकप्रिय है। नवरात्रि पवित्रता,शक्ति और दिव्यता का प्रतीक हैं।‘नवरात्रि‘शब्द का अर्थ है‘नौ रातें‘। यह वर्ष का सबसे लंबा हिंदू त्योहार है,जो नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। नवरात्रों के दौरान, नौ अलग-अलग दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन तक मां शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा,कूष्मांडा,स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी और सिद्धि दात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो लोगों को एकजुट करता है और खुशी और सकारात्मकता फैलाता है। यह एकता,विविधता और सहनशीलता के मूल्यों को बढ़ावा देता है और हमें बुराई और अन्याय के खिलाफ लड़ने की जरूरत को याद दिलाता है। उन्होने बताया कि जिस प्रकार हर त्यौहार को मनाने के पीछे कोई न कोई कथा (कहानी) होती है वैसे ही नवरात्रि मनाने के पीछे भी कई कहानियां प्रचलित हैं जिसमें से एक कहानी महिषासुर नाम के राक्षस से जुड़ी हुई। महिषासुर नाम का राक्षस था जिसने सूर्य,अग्नि,वायु व विभिन्न देवताओं पर आक्रमण कर उन सबके सिंहासन छीन लिए थे महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवताओं ने मां दुर्गा से प्रार्थना कि मां दुर्गा उनको महिषासुर नाम के राक्षस के प्रकोप से बचाएं। अतः देवताओं की पुकार सुन मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध करना शुरू किया यह युद्ध 9दिनों तक चला अंत में महिषासुर नामक बुराई की हार हुई तथा मां दुर्गा नामक अच्छाई की जीत हुई। नवरात्रि साधना का मुख्य उद्देश्य हमारे अंदर की पशुता को बिंदु रूप कर विराट देवत्व की प्रतिस्थापना है। इस त्यौहार को मनाने के लिए ना सिर्फ बड़े अपितु बच्चे भी बहुत उत्साहित रहते हैं। सच्चे दिल से मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।


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