हरिद्वार। शारदीय नवरात्र की शुरुआत तीन अक्टूबर से हो रही है। इस साल नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पं. रितेश कुमार तिवारी ने बताया कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शक्ति उपासना का महापर्व नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। प्रथम दिन हस्त नक्षत्र,ऐन्द्र योग में पूजन होगा। उन्होंने बताया कि गुरुवार को अश्विन शुक्ल प्रतिपदा दो अक्टूबर की रात 11ः05 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और नवरात्र तीन अक्टूबर की प्रातः से शुरू होंगे। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल से अपराह्न 3ः18 बजे तक है। बताया कि मां दुर्गा का आगमन इस बार पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा। जिस कारण मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ज्योतिषाचार्य पं. रितेश तिवारी ने बताया कि इस साल नवरात्रि में एक तिथि की वृद्धि व दो तिथि एक दिन होने से दुर्गा पूजा दस दिनों की होगी। बताया कि चतुर्थी तिथि दो दिन छह व सात अक्टूबर को रहेगी। अष्टमी व नवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्टूबर को होगा और 12 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा सृष्टि की महाशक्ति है, जो भक्तों की अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए अपनी शक्तियों को नौ रूपों में विभक्त कर इस सृष्टि का पालन-पोषण करती है। देवी की नौ दिनों की पूजा नौ ग्रहों के अनिष्ट प्रभाव को भी शांत रखती है,जिससे रोग और शोक दूर होते हैं। बताया कि नवरात्रि महाशक्ति की आराधना का पर्व है। जो तीन देवियों-पार्वती,लक्ष्मी और सरस्वती के नौ विभिन्न स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित है,जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि नवरात्र के पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों की,अगले तीन दिन लक्ष्मी के स्वरूपों और आखिरी के तीन दिन सरस्वती के स्वरूपों की पूजा की जाती है। महाष्टमी व नवमी का व्रत एक साथ 11अक्टूबर को किया जाएगा। एक तिथि की वृद्धि व दो तिथि एक दिन होने से दस दिनों की होगी नवरात्रि। मां दुर्गा का आगमन पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा।नौ दिनों की पूजा से नौ ग्रहों के अनिष्ट होते है दूर।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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