आयुर्वेद में अस्थमा,गठिया,मधुमेह,कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का उपचार की अद्भुत क्षमता -स्वामी रामदेव
भारत उत्सव,पर्वों का देश है- आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन और पतंजलि विश्वविद्यालय तथा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत आयुर्धन 2024 स्वस्थ भविष्य के लिए आयुर्वेद ,प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के सामंजस्य पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं धन्वंतरि वंदना से किया गया। सम्मेलन में योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि आयुर्वेद में अस्थमा,गठिया,मधुमेह,कैंसर जैसी कई पुरानी असाध्य बीमारियों का उपचार करने की अद्भुत क्षमता है जिनका आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में उपचार संभव नहीं है। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारे ऋषियों ने हमें विभिन्न पर्वों का संयोजन प्रदान करके स्वस्थ भविष्य के लिए आयुर्वेद प्रौद्योगिकी के प्रति अग्रसर किया है। भारतीय चिकित्सा ग्रंथों में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना गया है। वह समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के साथ ही औषधि पुस्तक लेकर आए थे,जिसमें सभी प्रकार के रोग- व्याधियों के उपचार का वर्णन है। आचार्य जी ने आयुर्वेद के विस्तार एवं उन्नति की संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में लूट के षडयंत्र का समाधान आयुर्वेद के रूप में पतंजलि ने खोजा है। सम्मेलन में मुख्य अतिथि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय,देहरादून के कुलपति प्रो.(डॉ.) अरुण ने आयुर्वेद में गुणवत्तापूर्ण शोध एवं विशिष्ट कार्यों के उन्नयन में आधुनिक तकनीकी एवं अनुभवी शोधकर्ताओं को आवश्यकता पर बल देते हुए नवाचार के निर्माण की बात कही। अथ आयुर्वेद,गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार,डॉ.परमेश्वर अरोड़ा ने मधुमेह नियंत्रण एवं मुक्ति संबंधित आयुर्वेदिक विवेचना की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्राचीन ज्ञान को आधुनिक ज्ञान से जोड़कर ही सम्पूर्ण कल्याण संभव है। प्रो.(डॉ.) गोपाल सी.नंदा ने ‘वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुर्वेद का योगदान एवं सतत विकास के लक्ष्य’ विषय का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अभी आयुर्वेद,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी,सिद्ध तथा होम्योपैथी के अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए अवसर तलाशने हैं। टीडीयू बेंगलुरु के कुलपति पद्मश्री प्रो.(डॉ.)दर्शन शंकर ने ऑनलाइन प्रस्तुति के माध्यम से भारत के नोबल पुरस्कार पाने की दिशा में आयुर्वेद एवं आधुनिक चिकित्सा की अंतर्दृष्टि और एकीकृत शोध-समाधान पर महत्त्वपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया। अंतर्राष्ट्रीय यूरोपियन संगठन के डिजास्टर मेडिसिन ग्रुप के अध्यक्ष प्रो.रॉबर्टाे मुगावेरो,(डॉ.)गोपाल सी.नंदा,प्रो.सत्येन्द्र राजपूत,प्रो.पार्थ रॉय और नेपाल से आये विशिष्ट अतिथि बाबू काजी ने जीवन में आयुर्वेद के विविध पहलुओं को साझा किया। साउथ टेक्सास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कैंसर रिसर्च के संस्थापक निदेशक,प्रो.सुभाष सी.चौहान,एस.व्यास समविश्वविद्यालय,बेंगलुरु के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ.वासुदेव वैद्य,शूलिनी विश्वविद्यालय,सोलन,हिमाचल प्रदेश की प्रो.पूनम नेगी,केंद्रीय विश्वविद्यालय एचएनबी गढ़वाल से औषधि विज्ञान के प्रो.अजय नामदेव आदि ने आयुर्वेद से नवीन नवाचारों की यात्रा में अपार संभावनाएँ, प्राचीन एवं आधुनिक चिकित्सा में संयोजन और चिकित्सीय लाभों पर प्रकाश डाला। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,दिल्ली के डॉ.भूपेंद्र सिंह,ट्रांस डिसिप्लिनरी स्वास्थ्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय,बेंगलुरु की अनुशासनिक प्रो.(डॉ.)अश्विनी गोडबोले,अमेटी इंस्टीटड्ढूट ऑफ नैनोटेक्नो लॉजी,हरियाणा गुड़गाँव के प्रो.अतुल ठाकुर,डोईवाला,देहरादून स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के प्रो.(डॉ.)प्रदीप कुमार भारद्वाज,ऋषिकुल परिसर,हरिद्वार की प्रो.रूबी रानी अग्रवाल,पतंजलि रिसर्च अनुसंधान के वैज्ञानिक डॉ.अनुपम श्रीवास्तव ने आयुर्वेद के विविध पहलुओं पर ज्ञान साझा किया। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शोधार्थियों,विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। आगन्तुक अतिथियों का आभार ज्ञापित करते हुए पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की विभागाध्यक्ष डॉ.वेदप्रिया आर्या ने आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता एवं स्वीकृति के लिए साक्ष्य आधारित शोध पर बल दिया। आयुर्वेद कॉलेज,हरिद्वार के प्राचार्य डॉ.अनिल कुमार ने देश-विदेश से पधारे समस्त विद्वानों,वैद्यों,वैज्ञानिकों, चिकित्सकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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