हरिद्वार। चौदह सौ वर्षों में भारतवर्ष पर धर्म परिवर्तन के लिए शस्त्र आक्रमण हुए। एक तथ्यात्मक आंदोलन के अनुसार 14 सदियों में धर्म आस्था पहचान एवं संस्कृति बचाए रखने के लिए 80करोड़ हिंदुओं ने अपने प्राणों की आहूति दी। 50लाख निर्दाेष हिंदू तो भारत के विभाजन के समय ही मारे गए। दुर्भाग्यवश उस समय हिंदुओं को ना तो स्वास्थ्य समिति अंतिम संस्कार हुआ और ना ही किसी ने उनकी आत्मशांति के लिए तर्पण किया और ना ही वह हिंदू स्मृति को स्थान पा सके। यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे लंबा नरसंहार था। यह यहूदियों के नरसंहार से 2000 गुना बड़ा है। विडंबना देखिए इतिहासकारों ने ना तो विश्व समुदाय के मानस में इसे अंकित होने दिया ना ही हमारी अपनी पीढियों को उसके जानकारी दी। अयोध्या फाउंडेशन की संस्थापक श्रीमती मीनाक्षी शरण ने गत 7 वर्षों से हर वर्ष हरिद्वार में सर्वपितृ अमावस्या पर धर्म रक्षा में बलिदान हुए अज्ञात हिंदुओं के सामूहिक तर्पण का आयोजन कर रही है। इस वर्ष भी यह आयोजन 2 अक्टूबर को किया जाएगा। इस अभियान से हर वर्ष देश व विदेश के स्थान जुड़े हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में सदस्य सामूहिक तर्पण का आयोजन करते हैं। अनेक हिंदू संगठन जैसे हिंदू जागरण मंच,उत्तर प्रदेश जन जागृति समिति, सनातन प्रभात हिंदू युवा मोर्चा छत्तीसगढ,़ हिंद रक्षक मध्य प्रदेश, भारत रक्षा मंच उज्जैन ,इंटरनल हिंदू फाउंडेशन दिल्ली, शाश्वत भारत ट्रस्ट देहरादून, पन्नू कश्मीर जम्मू, ,सारस्वत कश्मीरी ब्राह्मण फाउंडेशन, अरुंधति फाऊंडेशन पुणे, देवदेवेश्वर संस्थान पुणे, संवेदन संस्थान हिमाचल अयोध्या फाउंडेशन की नैरोबी शाखा सिद्ध विद्या एसोसिएट्स मुंबई, अमित सचदेवा एसोसिएट दिल्ली और विभिन्न शहरों जैसे काशी प्रयागराज लखनऊ,अमरकंटक, इंदौर ,मऊ,ओंकारेश्वर मुंबई,नासिक,पुणे,दिल्ली,उड़ीसा के अलावा विदेशों में कीनिया इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, आस्ट्रेलिया आदि से हर वर्ष लाखों हिंदू जुड़ रहे हैं,जो सर्वपितृ अमावस्या को सामूहिक तर्पण करते हैं। उन्होंने सभी धर्मिष्ठ हिंदुओं एवं हिंदू संगठनों से अनुरोध किया है कि इस पुण्यकार्य को अपने-अपने क्षेत्र में आयोजित कर यज्ञ में अपनी आहुति दें।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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