हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्रीगरीबदासीय आश्रम में आयोजित श्रीमद्भावगत कथा के पांचवे दिन कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए पूतना को भेजा। पूतना श्रीकृष्ण को अपना दूध पिलाने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पूतना के प्राण हरकर उसका कल्याण कर दिया। माता यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है। उसके बाद पंचगव्य से भगवान को स्नान कराती है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि सभी को गौ सेवा, गायत्री जप और गीता पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा करने से सभी देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। पृथ्वी ने गाय का रूप धारण कर श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते,खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। कथा श्रवण कराते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि गोपबालकों ने यशोदा माता से शिकायत करी कि ’मां तेरे लाला ने माटी खाई है,तो माता यशोदा हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयी और श्रीकृष्ण से मुख खोलने को कहा। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही माता यशोदा ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश,दिशाएं,पहाड़, द्वीप,समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी,वायु,वैद्युत,अग्नि,चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्ण ज्योर्ति मण्डल,जल,तेज अर्थात प्रकृति,महतत्त्व,अहंकार,देवगण,इन्द्रियां,मन,बुद्धि,त्रिगुण,जीव,काल,कर्म ,प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। भगवाहन के मुख में पूरा त्रिभुवन है,उसमें जम्बूद्वीप है,उसमें भारतवर्ष है,और उसमें ब्रज,ब्रज में नन्दबाबा का घर,घर में माता यशोदा श्रीकृष्ण का हाथ पकड़े हुए हैं। यह देखकर माता यशोदा को बड़ा विस्मय। श्रीकृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला,फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी,न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। भगवान की कृपा से यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। स्वामी हरिहरानन्द,गौ गंगाधाम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास एवं स्वामी दिनेश दास ने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को अपने धर्म को जानना चाहिए। धर्म को जानने के लिए श्रीमद्भावगत गीता, रामायण आदि गं्रथों का अध्ययन करें। इससे आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी बनेगी। मुख्य यजमान दर्शन कुमार वर्मा, माता सुदेश,रमेश लुथरा,रितु बहल,सार्थक,कमलेश,विक्रम लूथरा,नितिन लूथरा,कनिका,सुगम,डा.संजय वर्मा ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी परमात्मदेव,स्वामी निर्मल दास,स्वामी दिनेश दास,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,डा.संजय वर्मा,लोकराज,विजय शर्मा,स्वामी ज्ञानानंद,स्वामी कृष्णानंद सहित श्रद्धालु उपस्थित रहे।
हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्रीगरीबदासीय आश्रम में आयोजित श्रीमद्भावगत कथा के पांचवे दिन कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए पूतना को भेजा। पूतना श्रीकृष्ण को अपना दूध पिलाने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पूतना के प्राण हरकर उसका कल्याण कर दिया। माता यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है। उसके बाद पंचगव्य से भगवान को स्नान कराती है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि सभी को गौ सेवा, गायत्री जप और गीता पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा करने से सभी देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। पृथ्वी ने गाय का रूप धारण कर श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते,खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। कथा श्रवण कराते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि गोपबालकों ने यशोदा माता से शिकायत करी कि ’मां तेरे लाला ने माटी खाई है,तो माता यशोदा हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयी और श्रीकृष्ण से मुख खोलने को कहा। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही माता यशोदा ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश,दिशाएं,पहाड़, द्वीप,समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी,वायु,वैद्युत,अग्नि,चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्ण ज्योर्ति मण्डल,जल,तेज अर्थात प्रकृति,महतत्त्व,अहंकार,देवगण,इन्द्रियां,मन,बुद्धि,त्रिगुण,जीव,काल,कर्म ,प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। भगवाहन के मुख में पूरा त्रिभुवन है,उसमें जम्बूद्वीप है,उसमें भारतवर्ष है,और उसमें ब्रज,ब्रज में नन्दबाबा का घर,घर में माता यशोदा श्रीकृष्ण का हाथ पकड़े हुए हैं। यह देखकर माता यशोदा को बड़ा विस्मय। श्रीकृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला,फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी,न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। भगवान की कृपा से यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। स्वामी हरिहरानन्द,गौ गंगाधाम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास एवं स्वामी दिनेश दास ने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को अपने धर्म को जानना चाहिए। धर्म को जानने के लिए श्रीमद्भावगत गीता, रामायण आदि गं्रथों का अध्ययन करें। इससे आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी बनेगी। मुख्य यजमान दर्शन कुमार वर्मा, माता सुदेश,रमेश लुथरा,रितु बहल,सार्थक,कमलेश,विक्रम लूथरा,नितिन लूथरा,कनिका,सुगम,डा.संजय वर्मा ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी परमात्मदेव,स्वामी निर्मल दास,स्वामी दिनेश दास,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,डा.संजय वर्मा,लोकराज,विजय शर्मा,स्वामी ज्ञानानंद,स्वामी कृष्णानंद सहित श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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