हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्रीगरीबदासीय आश्रम में आयोजित श्रीमद्भावगत कथा के चौथे दिन कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का अथाह भण्डार है। कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है,जिससे जीवन भवसागर से पार हो जाता है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि भक्त और भगवान की कथा श्रीमद्भागवत जीवन जीने की कला सिखाती है। कथा से प्राप्त ज्ञान से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है। जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कथा के आयोजन और श्रवण से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेषतौर पर गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन और श्रवण से लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। कथा के प्रभाव से पितरों को भी मोक्ष मिलता है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागत कथा कलिकाल की वैतरणी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भावगत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। साथ ही दूसरों को भी कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। स्वामी हरिहरानन्द,गौ गंगाधाम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास एवं स्वामी दिनेश दास ने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि साक्षात श्रीहरि की वाणी श्रीमद्भागवत के श्रवण से सभी कष्ट दूर होते हैं। परिवार पर सदैव ईश्वरीय कृपा बनी रहती है। मुख्य यजमान दर्शन कुमार वर्मा,माता सुदेश ,रमेश लुथरा,रितु बहल,सार्थक,कमलेश,विक्रम लूथरा,नितिन लूथरा,कनिका,सुगम,डा.संजय वर्मा ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी परमात्म देव,स्वामी निर्मल दास,स्वामी दिनेश दास,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,डा.संजय वर्मा,लोकराज,विजय शर्मा,स्वामी ज्ञानानंद,स्वामी कृष्णानंद सहित श्रद्धालु उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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