हरिद्वार।उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री विश्नोई आश्रम भीमगोड़ा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम पर तुलसी दामोदर विवाह संस्कार बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। श्रद्धालु भक्तों को कथा एवं तुलसी दामोदर विवाह के महत्व से अवगत कराते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष महंत राजेंद्रानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवतकथा जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमदभागवत कथा ज्ञान का भंडार है,कथा से प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीवन में आचरण करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। जिससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। महंत राजेंद्रानंद महाराज ने कहा कि गंगातट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का अवसर सौभाग्य से मिलता है। इसलिए इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए और दूसरों को भी कथा श्रवण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी डॉ.स्वामी प्रज्ञा भारती महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सत्संग ज्ञान प्राप्ति का सबसे अच्छा माध्यम है। श्रीमद्भावगत कथा ज्ञान प्रदान करने के साथ कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करती है। अन्य युगों में जहां ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति के लिए अनेक यत्न करने पड़ते थे। वहीं कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण और कथा से प्राप्त ज्ञान के अनुसार आचरण करने से ही सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। श्रद्धालु भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत भक्त और भगवान की कथा है। कथाविचार, वैराग्य,ज्ञान प्रदान कर हरि से मिलने का मार्ग प्रशस्त करती है। महंत प्रणवानंद महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति और हिंदूधर्म में कार्तिक मास में तुलसीविवाह संस्कार करने से मनुष्य के जीवन में धन धन्य सुख समृद्धि ऐश्वर्या प्राप्त होता हैं। इस अवसर पर महंत प्रणवानंद,महंतजयानंद,अमृतानंद,शुभम चौधरी,उदय विश्नोई विनोद विश्नोई,लोकेंद्र विश्नोई ,प्रमोद विश्नोई, अनीता विश्नोई सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
Comments
Post a Comment