सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन आश्रम में जैन साध्वियों का एक प्रतिनिधिमंडल आया। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंटकर आशीर्वाद लिया। स्वामी जी ने नारी शिक्षा, सशक्तिकरण,समानता,समता जैसे कई विषयों पर चर्चा की। इस महत्वपूर्ण बैठक में,नारी शिक्षा, समाज में महिलाओं की स्थिति, और उनके अधिकारों को मजबूत करने के विषय पर व्यापक विचार विमर्श किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि एक सशक्त समाज तब तक संभव नहीं है जब तक नारियाँ समाज के हर क्षेत्र में समान रूप से भाग नहीं लेतीं। उन्होंने कहा कि हमें नारी शिक्षा को प्राथमिकता देने की नितांत आवश्यकता है। जब तक हम अपनी बहनों,बेटियों और माताओं को समान अवसर नहीं देंगे,तब तक समाज की प्रगति नहीं हो सकती। स्वामी जी ने कहा कि हम सभी को यह समझना होगा कि महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करने से कोई समाज समृद्ध नहीं हो सकता। नारी का सम्मान और शिक्षा हर घर में होना चाहिए और यही हमारे समाज का मूलमंत्र भी होना चाहिए। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले जी की शिक्षा और सशक्तिकरण के प्रयासों को आज भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। आज के इस ऐतिहासिक अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हम सावित्रीबाई फुलेजी की जयंती मना रहे हैं। वे नारी शिक्षा और समाज सुधार की अग्रणी नायक थीं। उन्होंने न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई,बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी जी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने नारी शिक्षा की नींव को मजबूत किया। उन्होंने महिलाओं को न केवल शिक्षा दी,बल्कि उन्हें समाज में अपनी स्थिति और अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया। अब प्रत्येक नारी को सावित्रीबाई फुले की तरह बनना होगा तभी हर घर में शिक्षा का दीप जल सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जैन साध्वियों से कहा कि वे नारी शिक्षा के प्रसार में सक्रिय रूप से भाग लें और विशेष रूप से गांवों और पिछड़े क्षेत्रों में इस मिशन को आगे बढ़ायें। उन्होंने कहा कि हर घर में शिक्षा का दीप जलाने के लिए हमें हर नारी को शिक्षित और सशक्त बनाना होगा। यही समाज में स्थायी बदलाव की कुंजी है। बताया कि यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक है कि हम उन्हें उनके अधिकार दें और उनके साथ समान व्यवहार करें।
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