हरिद्वार। नगर निगम बोर्ड के लिए हो रहे चुनाव में चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद विभिन्न प्रत्याशियों ने तेजी से चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हरिद्वार मेयर सीट पर कांग्रेस,भाजपा,आप,बसपा व एक निर्दलीय कुल पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की संभावना मानी जा रही है। हालांकि दोनों ही दलों के लिए जीत आसान नहीं होगी। पिछली बार कांग्रेस का मेयर होने के वाबजूद इस बार राह कांग्रेस के लिए आसान नही है। गुटवाजी में फसी कांग्रेस का इस बार मुकाबले में आने के लिए खासी मशक्कत से जूझना पडेगा। कांग्रेस हजारों व्यापारियों के परिवारों से जुड़े कॉरिडोर,जल भराव,शहर में पार्किंग स्थल,बढ़ता सूखे नशे के कारोबार को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। यदि कांग्रेस एकजुटता के साथ अपने मुद्दों को जनता के बीच पहुंचाने में कामयाब रहती है तो मुकाबला रोचक होगा। जबकि भाजपा केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं के साथ गत पांच वर्षो के कांग्रेस मेयर के कार्यकाल को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। इसके अलावा गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी की मांग को लेकर 8वर्षों से संघर्ष कर रहे सिख समाज का मुद्दा,नगर निगम में ठेका प्रथा,शहर की सफाई व्यवस्था सहित जनहित के तमाम मुद्दों को लेकर शहर की जनता भी दोनों प्रमुख दलों के समक्ष सवाल उठाएगी। देखना होगा कि भाजपा की मेयर प्रत्याशी किरण जैसल एवं कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश देवी क्या जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगीे। किरण जैसल व उनका परिवार लंबा राजनीतिक अनुभव तो रखता ही है। चुनाव में उन्हें सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधायक मदन कौशिक व भाजपा के मजबूत संगठन का साथ भी मिलेगा। जबकि अमरीश देवी के पुत्र वरुण बालियांन संघर्षशील नेता है। युवाओं में अच्छी पकड़ रखते हैं। अब जनता की नब्ज को कौन पकड़ पाएगा। यह देखना भी रोचक रहेगा। ऐसे में मेयर सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आप प्रत्याशी व बसपा प्रत्याशी चुनाव में कितना असर डाल पाते हैं। इससे भी चुनाव की दिशा तय होगी।
हरिद्वार। नगर निगम बोर्ड के लिए हो रहे चुनाव में चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद विभिन्न प्रत्याशियों ने तेजी से चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हरिद्वार मेयर सीट पर कांग्रेस,भाजपा,आप,बसपा व एक निर्दलीय कुल पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की संभावना मानी जा रही है। हालांकि दोनों ही दलों के लिए जीत आसान नहीं होगी। पिछली बार कांग्रेस का मेयर होने के वाबजूद इस बार राह कांग्रेस के लिए आसान नही है। गुटवाजी में फसी कांग्रेस का इस बार मुकाबले में आने के लिए खासी मशक्कत से जूझना पडेगा। कांग्रेस हजारों व्यापारियों के परिवारों से जुड़े कॉरिडोर,जल भराव,शहर में पार्किंग स्थल,बढ़ता सूखे नशे के कारोबार को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। यदि कांग्रेस एकजुटता के साथ अपने मुद्दों को जनता के बीच पहुंचाने में कामयाब रहती है तो मुकाबला रोचक होगा। जबकि भाजपा केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं के साथ गत पांच वर्षो के कांग्रेस मेयर के कार्यकाल को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। इसके अलावा गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी की मांग को लेकर 8वर्षों से संघर्ष कर रहे सिख समाज का मुद्दा,नगर निगम में ठेका प्रथा,शहर की सफाई व्यवस्था सहित जनहित के तमाम मुद्दों को लेकर शहर की जनता भी दोनों प्रमुख दलों के समक्ष सवाल उठाएगी। देखना होगा कि भाजपा की मेयर प्रत्याशी किरण जैसल एवं कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश देवी क्या जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगीे। किरण जैसल व उनका परिवार लंबा राजनीतिक अनुभव तो रखता ही है। चुनाव में उन्हें सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधायक मदन कौशिक व भाजपा के मजबूत संगठन का साथ भी मिलेगा। जबकि अमरीश देवी के पुत्र वरुण बालियांन संघर्षशील नेता है। युवाओं में अच्छी पकड़ रखते हैं। अब जनता की नब्ज को कौन पकड़ पाएगा। यह देखना भी रोचक रहेगा। ऐसे में मेयर सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आप प्रत्याशी व बसपा प्रत्याशी चुनाव में कितना असर डाल पाते हैं। इससे भी चुनाव की दिशा तय होगी।
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