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खेल ‘भावना’ जागृत करने का सशक्त माध्यम- आचार्य बालकृष्ण

 अभ्युदय’के अंतर्गत‘खेल और योगासन’प्रतियोगिता के फाइनल राउंड का हुआ भव्य शुभारंभ


हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के वार्षिकोत्सव “अभ्युदय” के अंतर्गत आयोजित ‘खेल और योगासन’प्रतियोगिता के फाइनल राउंड का भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने दीप प्रज्वलन कर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। इससे पहले,जहां योगासन’प्रतियोगिता के लिए 15फरवरी को आयोजित सेमीफाइनल राउंड में विभिन्न टीमों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई,जिसमें से 5उत्कृष्ट टीमों का चयन फाइनल राउंड के लिए किया गया।वहीं 23 से 27फरवरी तक चलने वाले‘नॉक- आउट ’खेल प्रतियोगिता के रोमांचक मुकाबले देखने को मिले। 28फरवरी को आयोजित फाइनल राउंड प्रतियोगिता में टग ऑफ़ वॉर,दौड़,कबड्डी,खो-खो,वॉलीबॉल, बैडमिंटन जैसे खेलों को शामिल किया था।इस फाइनल राउंड में रोमांचक मुकाबले देखने को मिले, जिनमें खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और खेल भावना का अद्भुत परिचय दिया। योगासन’ प्रतियोगिता के लिए विश्वविद्यालय के योग विभाग से बालकों की श्रेणी में बीएससी (द्वितीय वर्ष) तथा बालिकाओं की श्रेणी में बीए (तृतीय वर्ष),एमए(प्रथम वर्ष) और बीएससी(द्वितीय वर्ष)के विद्यार्थियों ने प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में हिस्सा लिया। वहीं ‘खेल प्रतियोगिता’के लिए विश्वविद्यालय के बीपीईएस,डीनवाईटी और बीएससी के छात्रों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीयस्तर पर योगासन स्पोर्ट्स में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से पतंजलि संस्थान को गौरवान्वित किया है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर पर योगासन एवं खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी। उन्होंने सभागार में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय खेलों में पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को योगासन स्पोर्ट्स प्रतियोगिता के लिए 2स्वर्ण,3 रजत और 1कांस्य मिले।इन पदकों के साथ ही उत्तराखंड राज्य पदकों के मामले में राष्ट्रीयस्तर सातवें स्थान पर पहुँच गया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जीवन में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए निरंतर सीखने और चेतन्यता का भाव आवश्यक है,जैसे कि पतंजलि संस्थान अपने अखंड,प्रचंड पुरुषार्थ से आज पूरे वैश्विक फलक पर दृश्यमान है।उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त प्रसिद्ध बांसुरीवादक डॉ.मुस्तफा हुसैन ने योग और ध्यान में संगीत के महत्व को विस्तार से बताया।उन्होंने कहा कि संगीत,विशेष रूप से वाद्य संगीत, मानसिक शांति प्रदान करता है और योग की साधना को और गहन बनाता है। इस अवसर पर उन्होंने बांसुरीवादन द्वारा रामायण की कुछ चौपाइयां प्रस्तुत कीं,जिससे पूरा सभागार मंत्रमुग्ध हो गया।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका और वार्षिकोत्सव की संयोजिका प्रो.साध्वी देवप्रिया ने छात्रों की प्रस्तुति को अद्भुत बताते हुए कहा कि पतंजलि के विद्यार्थियों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है,जिससे उनमें चरित्र निर्माण के साथ-साथ मानव मूल्यों का भी निर्माण हो रहा है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ की क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल,सम्प्रेषण विभाग प्रमुख बहन पारुल,पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.मयंक कुमार अग्रवाल,दूरस्थ शिक्षा निदेशक डॉ.सत्येंद्र अग्रवाल,कुलसचिव आलोक कुमार सिंह,परीक्षा नियंत्रक डॉ.ए.के.सिंह,कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव,‘खेल और योगासन’ प्रतियोगिता के समन्वयक डॉ.भागीरथी व डॉ.आरती पाल समेत पविवि के समस्त प्रसाशनिक अधिकारी,संकायाध्यक्ष,विभागाध्यक्ष व संकाय सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.अनिल कुमार,उप-प्रधानाचार्य डॉ.गिरीश व अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे। 

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