हरिद्वार। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से एक जत्था गुरुवार को धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के लिए हरिद्वार पहुंचा।यह जत्था संत शदाणी देवस्थानम में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के उद्देश्य से भारत आया था।जत्थे का नेतृत्व संत डॉक्टर युधिष्ठिर लाल कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने भारत माता मंदिर में शदाणी संतों की आरती और पूजन किया।इस धार्मिक आयोजन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना था। संत शदाणी देवस्थानम,जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के ऐतिहासिक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है,वहां से आए श्रद्धालुओं ने हरिद्वार के अन्य प्रमुख मंदिरों का भ्रमण किया।इन श्रद्धालुओं ने गंगा आरती में भाग लिया और धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए अपनी आस्था को व्यक्त किया।इस दौरान श्रद्धालुओं ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्मिकता के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान का भाव प्रकट किया।संत डॉक्टर युधिष्ठिर लाल ने इस अवसर पर कहा,भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक सद्भावना का यह उत्सव दोनों देशों के बीच शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।यह हमारे बीच सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का एक सुंदर अवसर है।श्रद्धालुओं का जत्था विभिन्न मंदिरों के दर्शन करने के बाद हरिद्वार के धार्मिक स्थलों से संतुष्ट होकर शाम के समय पाकिस्तान लौटने के लिए रवाना हो गया। इस यात्रा के दौरान उन्हें भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त हुई,जिसे वे अपने देश में भी साझा करेंगे। यह यात्रा एक ऐसा उदाहरण बनी,जिसने यह साबित किया कि धर्म और मानवता के माध्यम से हम देशों के बीच की दीवारों को तोड़कर एक मजबूत संबंध बना सकते हैं।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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