हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डा.नित्यानंद की 99वीं जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय संघ शताब्दी वर्ष के पंच परिवर्तन में निहित नागरिक कर्तव्य रहा। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विभाग कार्यवाह हरिद्वार विभाग लोकेन्द्र रहे। अध्यक्षता केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा.रितुध्वज ने की। मंच संचालन प्रियंका ने किया। मुख्य वक्ता लोकेन्द्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि डा.नित्यानंद का जीवन नागरिक कर्तव्य का प्रत्यक्ष उदाहरण है।उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करके समाज को दिशा देने का कार्य किया। उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है। डा.नित्यानंद बाहर से कठोर दिखते थे।परन्तु भीतर से सरल सहज और आत्मीयता से पूर्ण थे।उन्होंने नागरिक कर्तव्य के विषय में कहा कि नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत पंच परिवर्तन के सभी विषय अंतर्निहित हैं। अपने परिवार के प्रति सभी दायित्वों के निर्वहन के साथ ही समाज व देश के प्रति जो भी हमारा दायित्व है।उसका बोध ही नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत आता है। डा.रितुध्वज ने कहा कि सभी अधिकार की बात करते हैं।कर्तव्यों की अनदेखी करके कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों को प्राप्त नहीं कर सकता।राष्ट्र के प्रति समर्पण एवं निष्ठा हम सभी के कर्तव्यों में सम्मिलित होनी चाहिए।आज आवश्यकता है इस प्रकार के सामाजिक चिंतन की जो हमें हमारे कर्तव्यों के विषय में जागरुक करें।एक श्रेष्ठ नागरिक,श्रेष्ठ समाज का आधार है।ज्ञात हो डा.नित्यानंद का जन्म 9फरवरी 1926को आगरा में हुआ था।उनका संपूर्ण जीवन शिक्षा और सेवा के लिए समर्पित रहा।बहुत ही छोटी उम्र से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। अठारह वर्ष की उम्र में वे संघ के प्रचारक बने।भाउराव देवरस की प्रेरणा से उन्होंने राष्ट्रसेवा का संकल्प लिया।उत्तराखंड के इतिहास में उनका नाम सदैव अंकित रहेगा। इस अवसर पर अजय,सुशील सैनी,कुलदीप खंडेलवाल,रेखा,निधि,लक्ष्मी शुक्ला,सुशील शुक्ला,सर्वेश,उमा सिंघल ,आशू,ममता खत्री,दिनेश चौहान,वीरेंद्र बोरी,रंजीता,सुनीता शर्मा एवं रेखा उपस्थित रहे।
हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डा.नित्यानंद की 99वीं जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय संघ शताब्दी वर्ष के पंच परिवर्तन में निहित नागरिक कर्तव्य रहा। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विभाग कार्यवाह हरिद्वार विभाग लोकेन्द्र रहे। अध्यक्षता केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा.रितुध्वज ने की। मंच संचालन प्रियंका ने किया। मुख्य वक्ता लोकेन्द्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि डा.नित्यानंद का जीवन नागरिक कर्तव्य का प्रत्यक्ष उदाहरण है।उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करके समाज को दिशा देने का कार्य किया। उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा है। डा.नित्यानंद बाहर से कठोर दिखते थे।परन्तु भीतर से सरल सहज और आत्मीयता से पूर्ण थे।उन्होंने नागरिक कर्तव्य के विषय में कहा कि नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत पंच परिवर्तन के सभी विषय अंतर्निहित हैं। अपने परिवार के प्रति सभी दायित्वों के निर्वहन के साथ ही समाज व देश के प्रति जो भी हमारा दायित्व है।उसका बोध ही नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत आता है। डा.रितुध्वज ने कहा कि सभी अधिकार की बात करते हैं।कर्तव्यों की अनदेखी करके कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों को प्राप्त नहीं कर सकता।राष्ट्र के प्रति समर्पण एवं निष्ठा हम सभी के कर्तव्यों में सम्मिलित होनी चाहिए।आज आवश्यकता है इस प्रकार के सामाजिक चिंतन की जो हमें हमारे कर्तव्यों के विषय में जागरुक करें।एक श्रेष्ठ नागरिक,श्रेष्ठ समाज का आधार है।ज्ञात हो डा.नित्यानंद का जन्म 9फरवरी 1926को आगरा में हुआ था।उनका संपूर्ण जीवन शिक्षा और सेवा के लिए समर्पित रहा।बहुत ही छोटी उम्र से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। अठारह वर्ष की उम्र में वे संघ के प्रचारक बने।भाउराव देवरस की प्रेरणा से उन्होंने राष्ट्रसेवा का संकल्प लिया।उत्तराखंड के इतिहास में उनका नाम सदैव अंकित रहेगा। इस अवसर पर अजय,सुशील सैनी,कुलदीप खंडेलवाल,रेखा,निधि,लक्ष्मी शुक्ला,सुशील शुक्ला,सर्वेश,उमा सिंघल ,आशू,ममता खत्री,दिनेश चौहान,वीरेंद्र बोरी,रंजीता,सुनीता शर्मा एवं रेखा उपस्थित रहे।
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