हरिद्वार। श्रीराधारासिक बिहारी मंदिर रामनगर कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया बिना गुरु के गति नहीं होती है। बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता है। इसलिए मनुष्य को गुरु की शरण में जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता हैं। माता-पिता से ही बच्चों को संस्कार मिलते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षा गुरु जिनसे हमें अच्छी-अच्छी शिक्षाएं मिलती हैं और फिर आता है दीक्षा गुरु जिनसे मंत्र प्राप्त कर मंत्र जाप द्वारा हम अपना अध्यात्म कल्याण कर सकते हैं। सद्गुरु ही हमें असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर लेकर जाता है। गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान से भीतर का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में गुरु धारण अवश्य करना चाहिए। सप्तम दिवस की कथा में द्वारिकाधीश के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह का वर्णन,सुदामा चरित्र एवं दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन करते हुए सभी भक्तों ने सुखदेव का पूजन संपन्न किया। इस दौरान मुख...
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